Wednesday 15 January 2014

खुल गया सिमसिम


एक तिलिस्म बन रहा था और सबका ध्यान चुम्बक कि तरह खिंच गया था | केजरीवाल उस तिलिस्म के निर्माणकर्ता और रचयिता बन गए थे| एक रहस्य गहरा गया था , कौन है ये व्यक्ति? और क्यों कर रहा है यह सब ?
            एक गहरी साँस भीतर ले जाते हुए विचार कीजिये | क्या इन्ही कपिल सिब्बल से केजरीवाल ऐसे गले मिलते सिर्फ 1  साल पहले ? तिलिस्म धराशायी हो गया |
जो सोचा था ये वोह व्यक्ति नहीं हैं | केजरीवाल बदल गए हैं |
              अन्ना का लोकपाल पास हो गया अब वोह चैन कि नींद सो सकते हैं | उन्हें भारत रत्न के लिए विकल्प माना जा सकता है | पर एक सकारात्मक पहलु उभरा है इस प्रक्रिया में| अब लोग थोड़े जागे हुए लग रहे हैं | अन्ना आंदोलन ने मरती हुई राजनीतिक व्यवस्था को कैमरे के सामने लाकर एक ग्लेमर का विषय बना दिया | अब डॉक्टर, इंजीनियर, व्यापारी, कारोबारी, अभिनेता और खिलाड़ी, राजनीती को कैरियर के रूप में देखने लगे हैं |
           
केजरीवाल भारतीय राजनीती के एक मास्टर स्ट्रोक की तरह की  घटना है | अब कांग्रेस और भाजपा या फिर कोई भी राजनीतिक दल जनता को अनदेखा छोड़ने का जोखिम नहीं ले पायेगा | कैमरा सब देख रहा है | टी.वी. और समाचार पत्र बात का बतंगड़ बना देते हैं अब या तो इन नेताओं को प्रशिक्षण लेना होगा  या फिर मैंदान छोड़ना होगा नए योग्य उम्मीदवारों के लिए|
             भारत के लिए अच्छा समय चल रहा है | इस मंथन से बहुत कुछ बाहर आना है | मुझे भारत की तरक्की, अमन और भाईचारे का इंतजार है |

                                                                                                                             -गप्पू चतुर्वेदी